रायपुर: छत्तीसगढ़ में भारतमाला प्रोजेक्ट के तहत मुआवजा घोटाले की जांच अब गंभीर मोड़ पर पहुंच चुकी है। राज्य की आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (ईओडब्ल्यू) ने इस घोटाले की जांच शुरू कर दी है और इसके लिए प्रशासन से करीब 500 पेज की विस्तृत रिपोर्ट भी मांग ली है। ईओडब्ल्यू के अधिकारियों का कहना है कि जल्द ही इस घोटाले में एफआईआर दर्ज की जाएगी, और इसके बाद घोटाले में शामिल सभी लोगों के बयान भी लिए जाएंगे।
सूत्रों के मुताबिक, ईओडब्ल्यू ने गोपनीय तरीके से कई महत्वपूर्ण जानकारियां इकट्ठा की हैं और इस मामले से जुड़ी सभी दस्तावेजों को इकट्ठा कर लिया है। शुरुआती जांच में यह पता चला है कि अफसरों, जमीन दलालों और कुछ रसूखदारों ने मिलकर फर्जी तरीके से करीब 43 करोड़ रुपये का मुआवजा हासिल किया। हालांकि, विस्तारित जांच के बाद यह आंकड़ा बढ़कर 220 करोड़ रुपये से ज्यादा का हो गया है। अब तक इस घोटाले में 164 करोड़ रुपये के फर्जी लेन-देन का रिकार्ड सामने आ चुका है।
यह मामला विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष चरणदास महंत द्वारा प्रमुखता से उठाया गया था। उनके द्वारा इस घोटाले की जांच की मांग को गंभीरता से लेते हुए मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की अध्यक्षता में कैबिनेट ने इसे ईओडब्ल्यू को सौंपने का निर्णय लिया था।
चरणदास महंत ने इस घोटाले की गंभीरता को देखते हुए केंद्र सरकार से इस मामले की जांच सीबीआई से कराने की मांग की है। इसके लिए उन्होंने प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) और केंद्रीय सड़क मंत्री नितिन गडकरी को पत्र भी लिखा है।
ईओडब्ल्यू ने इस मामले में अब तक कई आरोपितों की पहचान की है, और घोटाले में शामिल लोगों के खिलाफ जल्द ही गिरफ्तारी की कार्रवाई की जा सकती है। पुलिस और जांच एजेंसियों की सख्ती से घोटाले के पीछे के मुख्य आरोपियों के खिलाफ जांच तेज हो गई है। राज्य में पहली बार ऐसा हो रहा है जब किसी जमीन मुआवजा मामले की जांच ईओडब्ल्यू द्वारा की जा रही है।